Diabetes, जिसे मधुमेह भी कहते हैं, एक दीर्घकालिक विकार है जिससे आपके शरीर में ग्लूकोज (रक्त शर्करा) को सामान्य रूप से नहीं रोका जा सकता। ये एक सामान्य समस्या है जो दुनिया भर में लाखो लोगों को प्रभावित करती है। मधुमेह के मुख्य कारण होते हैं इंसुलिन की कमी या फिर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तमाल न हो पाना। इंसुलिन एक हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में ग्लूकोज को ऊर्जा प्रदान करता है।
प्रकार:
1. टाइप 1 मधुमेह (किशोर मधुमेह): इसमें शरीर खुद इंसुलिन उत्पादन नहीं कर पाता है। ये अक्सर बच्चों और युवाओं में देखा जाता है। इसके लिए इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
2. टाइप 2 मधुमेह: इसमें इंसुलिन उत्पादन होता है, लेकिन शरीर उसका सही नहीं कर पाता। ये अधिक उमरा वाले लोगों में अधिक होता है। ये प्रकार की जीवनशैली और आनुवांशिक कारकों से प्रभाव पड़ता है।
3. गर्भकालीन मधुमेह: ये महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। अक्सर ये गर्भवती महिलाओं में अस्थायी होता है, लेकिन ये भी ध्यान रखें कि गर्भकालीन मधुमेह को भी नियंत्रित करना जरूरी है।
लक्षण
– अधिक प्यास और प्यास से ज्यादा पेशाब आना
– भूख न लगना या अधिक भूख लगती है
– थकन और कामजोरी का आना
-चिड़चिड़ापन, जलन और खुजली
– वजन घटाना या बढ़ना
– घाव और संक्रमण का डर से भर जाना
– आंखों में दिखावत या आंखों में चोट लगने पर ज्यादा दिक्कत
– लंबा समय तक ठीक होने वाले चोट या चोट से देर तक भरने वाले घाव
कारण
– टाइप 1 डायबिटीज में अक्सर ऑटोइम्यून रिएक्शन से शरीर अपने इंसुलिन का उत्पादन कर सकता है।
– टाइप 2 डायबिटीज में आनुवांशिक प्रवृत्ति और जीवनशैली के कारक जैसे कि व्यायाम की कमी, पोषक तत्त्वों की कमी, और अधिक वजन का प्रभाव होता है।
प्रबंधन
– आहार: आहार का सम्यक होना जरूरी है। कार्बो कार्बोहाइड्रेट, वसा, और प्रोटीन का सेवन करें। पौष्टिक सब्जी, फल, दाल, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन को शामिल करें। चीनी और प्राकृतिक मिठास से बचें।
– व्यायम: व्यायाम करके वजन को नियत्रित राखें। व्यायाम करने से इंसुलिन का बेहतर होता है।
– दवाइयां: कुछ मामलों में डॉक्टर दवाओं का भी सलाह देते हैं जो इंसुलिन को नियंत्रित करते हैं या रक्त शर्करा के स्तर को कम करते हैं।
– नियमित जांच: नियंत्रित रक्त शर्करा स्तर बराबर रखें। नियमित जांच करवाएं और डॉक्टर की सलाह से इलाज चलाएं।
– तनाव प्रबंधन: तनव को काम रखें। प्राणायाम और ध्यान से तनाव कम हो सकता है।
मधुमेह को रोकने और प्रबंधन करने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। यदि आपको मधुमेह है या आप इससे बचने के लिए जानना चाहते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। याद रहे कि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए एक सार्वजनिक उपचार हर किसी पर सही नहीं हो सकता।
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